961 bytes added,
17:27, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
इण स्हैर रो टैम
कुण जाणै आज
इणनै क्यांरी दसा चालै
कोई नीं देखै
काळ आयग्यो
भरी दुपारी
चढतै सूरज
काळ रा काळा हाथां
कब्रिस्तान अर
समसाण बणग्यो
स्हैर रै अेन बिचाळै।
उण काळा हाथां नै
कुण बणावै
बांनै काळ कद आवैला!
काळ रै काळा हाथां नै
भट्टियां भेळै करो नीं
काळ रा देवता।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader