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14:45, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
भरत-राम
ऊभा है आंमी-सांमी
बूकिया ताण
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टी.वी. देखावै
का‘णी घर-घर री
कठै बे घर?
{{KKBR}}
अेकल-घर
मरी लोककथावां
दादी न नानी
</poem>
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