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15:23, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
राजनीति तो
सदा रै‘वै जागती
कोमा में आपां
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अे अखबार
सेवा नामै ब्यौपार
साच री हार
{{KKBR}}
‘‘मा’’ सुणता ई
रग-रग में बै‘वै
अमृत-धार
</poem>
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