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16:01, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
इतियासां रै
चिलकणां आखरां
जमगी धूड़
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छात नै सदा
आंधी, मेह, तावड़ो
सै‘णा पड़सी
{{KKBR}}
थेपड़ी थूं तो
गीली रै‘वै तो धुखै
सूखी तो बळै
</poem>