610 bytes added,
07:04, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
थूं जगत में
जगत थारै मांय
पंचतत्व थूं
{{KKBR}}
रचनाकार
अेक देही सूं जी लै
घणा जीमण
{{KKBR}}
सीप्यां आप रो
काळजो चिरवावै
मोती जनमें
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader