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08:06, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
किणी न किणी
फ्रेम कसियोड़ा हां
आपां सगळा
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नईं पैछाण
आज रै मिनख री
सिंथेटिक है
{{KKBR}}
आथूण करै
रो-रो‘र आंख लाल
रवि आथमा
</poem>
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