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08:14, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
स्वर्णायग्या है
सगळा बाळमीकि
इण जुग रा
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प्रहलाद सै
माथा झुकोड़ा, नाचै
हिरणाकस
{{KKBR}}
कठै हथाई ?
बंतळ करै बस
इंटरनेट
</poem>
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