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08:39, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
पून नैं बस
मै‘सूस कर सकां
देख नीं सकां
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आज साहित
पुरसीज रैयो है
फास्ट फूड ज्यूं
{{KKBR}}
घर सूं बा‘रै
जद आई है नारी
छूयो है आभो
</poem>
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