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09:23, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
जनमें मौत
जनम रै सागै ई
जुड़वां दोनूं
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होणी तो हुसी
कीं करियां नीं टळै
खुलो खेल नीं
{{KKBR}}
अगूणी दिस
लगायलै दिनूगै
सूरज टीकी
</poem>
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