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09:30, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
अेक डाळ बैठा
भांत-भांत रा पंछी
कदै ई लड़ै?
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न गुटर गूं
नईं गूंजै कू .... कू ... कू ....
है सरणाटो
{{KKBR}}
मा जद धरै
आंगण में चरण
गंगा बै‘जाय
</poem>
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