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किसका काँधा ! / कविता भट्ट

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सैनिक की प्रिया के
काश! केशों में सजूँ ।
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आशा-संघर्ष
कुकुरमुत्ता बन
है मुस्कुराता
सड़े- गले जग में
जिजीविषा सिखाता ।
 
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