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मास्टर नेकीराम

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|मृत्यु=10 जून, 1996
|कृतियाँ=
|प्रमुख विशेषता=मास्टर नेकीराम की प्रमुख विशेषता यह थी कि सांग मंचन करते समय जैसे-जैसे रात बढती थी, वैसे-वैसे उनकी आवाज भी बढती चली जाती थी। उनका सांग मंचन लगातार लगभग आठ घन्टे तक चलता था। उनका गायन उनके पिता मास्टर मूलचन्द की तरह कर्णप्रिय,अभिनय व संगीत उच्चकोटि का था। उन्हें एक ऐसे सांगी के रूप में जाना जाता है जिन्होंने अपने मधुर गायन व बिन्दास अभिनय से दर्शकों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। पूरा परिवार एक साथ बैठकर उनका सांग देख सकता था, मजाल कहीं अश्लीलता आ जाए। यहीं कारण था कि वे अपने जमाने के सांगियों से कहीं आगे थे।
|विविध=8 व 9 जनवरी, 1971 को गाँव नांगल चौधरी (हरियाणा) में हरियाणा कला मण्डल द्वारा मास्टर नेकीराम के दो सांगों का आयोजन कराया गया। यहां इनकी उत्तम सांग प्रस्तुति के लिए हरियाणा कला मण्डल के निदेशक- देवीशंकर प्रभाकर ने इन्हें प्रशंसा पत्र भेंट करते हुए, एक विशिष्ट सांग सम्राट की संज्ञा दी। यहां संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की संगीत, नृत्य एवं नाटक की राष्ट्रीय अकादमी 'संगीत नाटक अकादमी' दिल्ली द्वारा उस दौर में हरियाणा के पहले और इकलौते कलाकार के रूप में मास्टर नेकीराम की मधुर आवाज को रिकार्ड किया और उनके द्वारा मंचित सांग फूलसिंह-नौटंकी की भी सर्वप्रथम रिकार्डिंग की गई। इतना ही नहीं अपार जनसमूह के बीच इस सांग मंचन के सर्वप्रथम छायाचित्र भी लिए, जो कि आज भी संगीत नाटक अकादमी के दिल्ली स्थित संग्रहालय में हरियाणा की धरोहर के रूप में सुरक्षित है।
|जीवनी=[[मास्टर नेकीराम / परिचय]]
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