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17:36, 5 अगस्त 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मास्टर नेकीराम
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|संग्रह=
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<poem>
'''सांग:- सेठ ताराचंद'''
'''साधु-संत फकीर गावै, नाम ताराचंद का,'''
'''लावै सदाव्रत भण्डारे, यो ही काम ताराचंद का, ।। टेक ।।'''
सेठ जी करता दान भतेरा, घर पै करते मैहमान बसेरा,
लागै साधुओं का डेरा, सुबह शाम ताराचंद का।।
सेठ जी अकलमंद विद्वान, जिसनै जाणै सकल जहान,
उसकी मान बड़ाई गावै, सारा गाम ताराचंद का।।
सेठ का अच्छा चलता व्यापार, झूठ कपट समझै सब बेकार,
कोई ले जाओ उधार माल, दाम ताराचंद का।।
सेठ होरया मालामाल, दान-पुन्न की करता नहीं सम्भाल,
गावै हाल बतावै, नेकी राम ताराचंद का।।
</poem>