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क्यों फिरै भरमति सुरति / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
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06:26, 11 अगस्त 2018
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<poem>
'''क्यों फिरै भ्रमति श्रुति ,
गुरुवां
गुरुआं
की टहल करै नै ।। टेक ।।'''
चंचल-चित्त ला चरण-शरण मैं, गम की गागर भरले नै,
Sandeeap Sharma
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