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|रचनाकार=ललित कुमार
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<poem>
'''मेरे प्रश्न का उत्तर देदे, जै छः-चार का ज्ञान तनै,'''
'''पूरा भजन खोल बतादे, फेर मानू विद्वान् तनै || टेक ||'''

उस सुता का कौण पिता, जो वीर्य से बिन कूख जणी,
मनै रामायण की बात बतादे, सीता हिरणी कड़ै बणी,
नौ लाख सुतां की मात बतादे, नौ-ऐ जिसके गिणे धणी,
उस सावित्री का सुत बतादे, जो यम कै आगै रही तणी,
पांच पति की तीन औरत गिणादे, जै महाभारत सै ध्यान तनै ||

कौण देव कब आया जमीं पै, माता गेल्या करणे भोग,
उस पुत्र का नाम बतादे जिसनै जननी को दिवाया जोग,
इसा वरदान मिल्या किसनै, जिसके पाप करण तै कटगे रोग,
कौण पति मारकै सती होई, ना पुत्र का मनाया सोग,
सुदामा विप्र के चार सुत गिणादे, जै पढ़ राखे हो पुरान तनै ||

पिता-पूत पळे एक गर्भ मै, माता न्यारी-न्यारी,
सुत सोला लाख जणे जननी नै, फेर भी रही कंवारी,
जननी जल म्य पिता थल पै, सुत लेगा गगन उडारी,
पिता के उदर से पुत्र जनम्यां, वा मात बणी हत्यारी,
त्रिलोकी के तीन गुरु बतादे, जै होग्या हो अनुमान तनै ||

ब्रह्माण्ड का मनै भार बतादे, कितणाक हळवा-भारी सै,
यो ब्रह्मफांस इसा बाँध दिया, या जाणै दुनिया सारी सै,
गुरु जगदीश के ज्ञान की ख्याति, 14 भूवन मै किल्कारी सै,
कहै ललित बुवाणी आला, गुरु जी विष्णु का अवतारी सै,
इन बातां का अर्थ लगादे, तो सतगुरु ल्यूं मैं मान तनै ||
</poem>
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