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16:47, 23 अगस्त 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=ललित कुमार
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<poem>
'''मनै शोधके बता सहदेव, कड़ै कटै तेरहवा साल भाई,'''
'''बणखंड के म्हा चलते-चलते, हाम हो लिए सा काल भाई || टेक ||'''
बेरा पाटै उस दुर्योधन नै, दुःख होज्यागा फेर म्हारे तन नै,
वो भेज देगा हामनै वन मै, कोन्या करै टाल भाई,
मेरा जी घबरावै सै, इब तावल करकै चाल भाई ||
वक्त म्हारे सधरे सै हाणी के, ये पैन्ने बोल चुभरे उसकी वाणी के,
बेरा ना कद द्रोपदी राणी के, ये बंध पावैंगे बाल भाई,
पूरी उम्र बितज्या बण मै, इन भिलां की ढाल भाई ||
नक्षत्र खोटे की इस घड़ी मै, मोती पोण ना पावै लड़ी मै,
सर पै विपता आण पड़ी मै, ये हंस छोडदे ताल भाई,
भीड़ पड़ी मै सुखै सरोवर, या कोन्या राखी आल भाई ||
दक्षिण कानी तू करै इशारा, यो भेद खोलकै बतादे सारा,
कहै ललित ना होवै गुजारा, थाम उठ लियो तत्काल भाई,
कर आठू पहर दुर्गा की भक्ति, ना और दूसरा ख्याल भाई ||
</poem>