1,965 bytes added,
16:54, 23 अगस्त 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ललित कुमार
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaryanaviRachna}}
<poem>
'''दश दशा का भार सिर पै, ध्यान धरो सच्चे ईश्वर पै,'''
'''मिलै बसेरा विराट के घर पै, चालो उसके पास मै || टेक ||'''
बदल कै चालो अपणा नाम, दासी-दास का मिलज्या काम,
राम काटदे संकट सारा, ज्योतिष नै लिख्या न्यारा-न्यारा,
अज्ञातवास कटैगा म्हारा, इब बारा-ऐ मास मै ||
धर्मपुत्र कंख बण जुआ खिलावै, अर्जुन बृहनअल्ला बण नाचै-गावै,
आवै विपता पड़ैगी ठाणी, भीम नै वल्लव बण रसोई पकाणी,
सारन्ध्री दासी बणै द्रोपदी राणी, बात बताद्युं ख़ास मै ||
सुनसान जगह शमशान बताई, अस्त्र टांगो क्यूँ देर लगायी,
भाई हम सब रह्ल्या नय कै, नकुल ग्रंथिक बणै भूप नै कहकै,
विराट की गौशाला मै रहकै, द्यूं गऊओ को घास मै ||
खेल कै जुआ म्हारा छूट्या तख़्त, राज की खातिर बहवैगा रक्त,
बख्त खोटे मै छुटै देश, रहणा पड़ै बदलकै भेष,
कहै ललित जैसे रहै महेश, ऊपर कैलाश मै ||
</poem>