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प्राण सींचती / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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19:08, 26 अगस्त 2018
[[Category:हाइकु]]
<poem>
1
जग सुन्दर
सुन्दर मन -ताल
भावों की छाया ।
2
सूने हैं तट
आती नहीं आहट
नीर अधीर।
3
थकीं लहरें
बाँचे अनवरत
तीर की पीर।
4
नहाने आते
जब चाँद -सितारे
तट हर्षाते ।
5
नदियाँ सूखीं
उजड़े पनघट
गलियाँ मौन।
'''-0-7/2/2015'''
1
प्राण सींचती
वीरबाला
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