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तुम साथ हो तो ज़िंदा हैं ख्वाहिशें सफ़र की / अशोक कुमार पाण्डेय
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07:40, 1 सितम्बर 2018
हवाओं में जो ये थोड़ी सी नमी है
किसी पुराने समय से चली आई है हमारे लिए हमारी ही देहगंध लिये
(तीन )
(समंदर के पास खड़े प्रिय अनुज पवन और स्टेफनी की तस्वीर देखते हुए)
Sharda suman
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