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आत्मरोदन / भारतरत्न भार्गव
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लाल चींटियों की गिरफ़्त से
मुक्ति की करती प्रतीक्षा
एक बूढ़ी
निरानंद
निरानन्द
आत्मा।
</poem>
अनिल जनविजय
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