Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशाकर
|अनुवादक=
|संग्रह=ककबा करैए प्रेम / निशाकर
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>


लोक कन्यापूजन करैत अछि
कन्याकें भोजन करबैत अछि
पयर छुबैत अछि
दक्षिणा दैत अछि
मुदा,
दोसरे दिनसँ बिसरि जाइत अछि
अपन दायित्व
कन्याकें मारैत अछि
गारि पढ़ैत अछि
कन्या-भ्रूणक हत्या करैत अछि
बलात्कार आ सामूहिक बलात्कार करैत अछि।

कन्याकें पूजबाक नहि
ओकरा पढ़यबाक
गढ़बाक
आ, पोसबाक खगता अछि।

</poem>
761
edits