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03:40, 29 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मेहर गेरा
|अनुवादक=
|संग्रह=लम्हों का लम्स / मेहर गेरा
}}
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<poem>
हमारे साथ तो इक चाल चल गया मौसम
पलक झपकते ही यारो बदल गया मौसम
अभी तो बर्फ है बाहर जिधर नज़र डालो
न जाने क्यों मिरे अंदर बदल गया मौसम
वो खुशबुएं हैं कहां अब वो रंग-रूप कहां
फ़रेब दे के किधर अब निकल गया मौसम
तलाश करते हो किसको इस उम्र में ऐ मेहर
ज़रा तो आइना देखो बदल गया मौसम।
</poem>