Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[अजय अज्ञात]] |अनुवादक= |संग्रह=इज़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[अजय अज्ञात]]
|अनुवादक=
|संग्रह=इज़हार / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ज़िंदगी जीने का तब तक क़ायदा आया न था
खाइयों को दिल की जब तक पाटना आया न था

दूसरे के ऐब हम को तब तलक दिखते रहे
सामने जब तक हमारे आइना आया न था

कुर्बतों की अहमियत को हम नहीं पाए समझ
दरमियां जब तक हमारे फासला आया न था

जिस दिये की लौ बचाई हाथ उस से जल गया
ठीक से हम ही को शायद ढांपना आया न था

देर तक ‘अज्ञात' ख़ुशियों से रहे महरूम हम
ज़िंदगी में ठीक से ग़म पालना आया न था
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits