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04:06, 30 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अजय अज्ञात
|अनुवादक=
|संग्रह=जज़्बात / अजय अज्ञात
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{{KKCatGhazal}}
<poem>
कभी भी हौसला टूटा नहीं था
मैं क़िस्मत से कभी हारा नहीं था
तुझे इक पल भी मैं भूला नहीं था
अकेला था मगर तन्हा नहीं था
पुकारा ख़ुद ही मुझ को मंज़िलों ने
दिशा से मैं कभी भटका नहीं था
बहुत मिलते थे यूँ मिलने को लेकिन
कोई दिल से कभी मिलता नहीं था
दिखाई देता था बाहर से जैसा
मैं अंदर से ज़रा वैसा नहीं था
</poem>