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04:18, 30 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अजय अज्ञात
|अनुवादक=
|संग्रह=जज़्बात / अजय अज्ञात
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{{KKCatGhazal}}
<poem>
ज़िंदगी का गीत गाना सीख लो
ग़म में भी तुम मुस्कुराना सीख लो
स्वप्न सब साकार होंगे एक दिन
ख़्वाब पलकों पर सजाना सीख लो
भूल कर निज हित को यारो एक पल
काम औरों के भी आना सीख लो
लांघ कर तुम नफ़रतों की खाईयां
पुल मुहब्बत के बनाना सीख लो
बस दिखावे को मिलाना हाथ क्या
दिल से अपना दिल मिलाना सीख लो
</poem>