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{{KKRachna
|रचनाकार=अजय अज्ञात
|अनुवादक=
|संग्रह=जज़्बात / अजय अज्ञात
}}
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<poem>
प्यार का ये आग़ाज़ बहुत ही अच्छा है
बातों का अंदाज़ बहुत ही अच्छा है

कह देना हर बात सरलतम शब्दों में
लिखने का अंदाज़ बहुत ही अच्छा है

लिखता हूँ मैं भावप्रण सुन्दर ग़ज़लें
दो गर तुम आवाज़ बहुत ही अच्छा है

उसका तो अंजाम सदा अच्छा होता
होता जब आगाज़ बहुत ही अच्छा है

शब्दों के हों पंख, क्षितिज हो चिंतन का
भरना फिर परवाज़ बहुत ही अच्छा है
</poem>
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