Changes

घर -2 / विनय सौरभ

3 bytes added, 08:53, 5 अक्टूबर 2018
बड़े भाई को कहता हूँ फलाँ काम देख लीजिएगा मौसी के यहाँ चले जाइएगा, सुना है बीमार है अब वही तो ए​​क बहन बची है माँ की !
याद है गुड़ के अरसे अनरसे कितना भेजा करती थी हमारे लिए !
चाहता हूँ बस छूट ही जाए !
765
edits