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इच्छा / मनमोहन
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{{KKRachna
|रचनाकार=मनमोहन
|अनुवादक=
|संग्रह=
ज़िल्लत की रोटी / मनमोहन
}}
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<poem>
एक ऐसी स्वच्छ सुबह मैं जागूँ
जब सब कुछ याद रह
जाय
जाए
और बहुत कुछ भूल
जाय
जाए
जो
फालतू
फ़ालतू
है
</poem>
अनिल जनविजय
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