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अल्बाट्रोस / बाद्लेयर / अभिषेक 'आर्जव'
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12:15, 15 अक्टूबर 2018
घिसटते हैं नाव के ओर छोर पर,
यह मजबूर ,हास्यास्पद यात्री, पड़ा है जो
विकृत और अक्षम, कभी हुआ करता था कितना भव्य !
एक नाविक कोंचता है चोंच में लकड़ी से,
अनिल जनविजय
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