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ख़लीलुर्रहमान आज़मी की याद में / शहरयार
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20:11, 28 जुलाई 2008
मेरा साया
किस मंज़िल, किस
मोड़पर
मोड़ पर
बिछड़ा
ओस में भीगी यह प्गडंडी
अनिल जनविजय
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