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19:57, 20 दिसम्बर 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=कीरति कुमारी
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<poem>
लीला के करैया नेकु माखन चोरैया,
दधि दूध के लुटैया रास-मंडल रचैया हैं।
गिरि के धरैया ब्रज द्वड़त बचैया,
गर्व इंद्र के हरैया वस्त्र गोपिन चोरैया हैं॥
वृषासुर दुष्ट बन बक के बधैया,
प्राण दासन रखेया घट-घट के रमैया हैं।
सोई दीनानाथ आज ‘कीरति कुमारी’ गृह,
जनम लेवैया दुख दारुण हरैया हैं॥
</poem>