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14:19, 21 दिसम्बर 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=एस. मनोज
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<poem>
करै छी हम प्रणाम यौ
हम पतवार हमहीं छी नैया
हम सभकेँ छी अहैं खेबैया
बिन गुणवत्ता शिक्षण रहत त
होयबै अहाँ बदनाम यौ
शिक्षाक स्तर जँ खसले जैतै
नेनाक विकास नहि होयतै
त एक समयमे है यौ गुरूजी
अहौ होयबै बेकाम यौ
मोती बिन जँ शीपी पलतै
ज्ञानक बिन जँ कक्षा रहतै
शनैः शनैः सभ विद्यालय त
भ जाएत निष्प्राण यौ
शिक्षक होएत छथि युग निर्माता
बाल बोध केर भाग्य विधाता
भविष्य निर्माण जँ नहिये होएत
सभ करत कोना प्रणाम यौ।
</poem>
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