1,830 bytes added,
14:27, 21 दिसम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एस. मनोज
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>
चन्ना मामा,चन्ना मामा, कनिये इम्हर आउ
कोनाक इ राति दिन होय, हम सभकेँ समझाउ
कोना बादल चलै गगन मे, तारा टिम टिम चमकै
रंग बिरंगक खिलल फूल सभ, कोना गम गम गमकै
कोनाकें बिजुरी चमकै छै, कोना बरखा आबै
चिड़ै चनमुनी उड़ै छै कोना, मोनक जे हर्षाबै
फूल पात सभ रंग पबैत अछि, कोनाकें बतलाउ
मुरै बेचारा बिन रंगक अछि, कियैक से समझाउ
दीप बारिकें उड़ै छै कोना, भगजोगनी यौ मामा
राह चलैत जे सभ राही छथि, कियैक चलैत छथि वामा
प्रश्न सुनिकें बिहुँसके मामा, बौआ के समझौलनि
एक एककें प्रश्नक उत्तर बौआकें बतलौलनि
सभ क्रिया आ सभ रचनाक मूलमे अछि विज्ञान
पढ़ू लिखू विज्ञानक पोथी ,तखनहि भेंटत ज्ञान
आय काल्हि त घार घारमे छथि गुगल महाराज
प्रश्न अहाँ जे बाजि रहल छी सभहक खोलता राज
</poem>