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आशनाई की ग़ज़ल गाने से कुछ हासिल नहीं
डूब जायेगा सफ़ीना दूर तक साहिल नहीं
सब सियासी ताक़तें हाथों में उनके आ गयीं
लोफ़रों- गुंडों से ज़्यादा अब कोई का़बिल नहीं
 
जो जु़नूँ में भूल जाये क्या ग़लत है, क्या सही
दोस्तो दुनिया में फिर उससे बड़ा जाहिल नहीं
 
फिर भला उस आदमी को आदमी कैसे कहें
जब धड़कते दिल में उसके आदमी का दिल नहीं
 
साफ पानी ही पियेंगें लोग तय कर लें अगर
फिर नया तालाब खुदवाना कोई मुश्किल नहीं
 
उसको दीवाना कहो या फिर कहो ग़फ़लतज़दा
वो कहाँ शायर है जो इस मुहिम में शामिल नहीं
 
वक़्त ने हाथों को मेरे बाँध रक्खा है ज़रूर
दिख रहा हूँ चुप मगर हालात से ग़़ाफ़ि़ल नहीं
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