Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
जन्नत में आँगन की ख़ुशबू मिलती है कि नहीं
ईश्वर को भी माँ की ज़रूरत पड़ती है कि नहीं
लाख सुखी हो बेटा माँ को फ़िक़्र सताती है
बेटे को परदेस में रोटी मिलती है कि नहीं
 
जब कोई बेटा माँ को पीड़ा पहुँचाता है
तब भी माँ के दिलसे दुआ निकलती है कि नहीं
 
नये- नये रिश्ते हैं जो मैं उनसे पूछ रहा
सबसे बढ़कर जग में माँ की हस्ती है कि नहीं
 
माँ का प्यार बदल जायेगा कैसे सोच लिया
गु़स्से में भी माँ की ममता रहती है कि नहीं
 
आप बतायें शम्आ को क्या हासिल होता है
शम्आ अंधकार से फिर भी लड़ती है कि नहीं
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits