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मेरे भी पांव में रस्ते बहोत हैं / जंगवीर सिंंह 'राकेश'
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00:35, 3 जनवरी 2019
जहाँ पर चाहें हम बुनियाद रख दें
हम
अपनी ज़िद
अपने रोब
के पक्के बहोत हैं
तुम्हारे हाथ में मंज़िल अगर है
Jangveer Singh
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