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पुल / कविता भट्ट

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था लाया हमें पास ।
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बचपन था-
जहाँ झूलता मेरा,
टँगा है मन
अब रुकी-थकी -सी
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गाड़ी हो वाहन तुमपुल पर दौड़तीदौड़तेनीचे '''नदी -सीहूँ मैं'''
शान्ति से बहती
सब कुछ सहती