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कभी वतन से अपने दूर नहीं हो पाया
ग़म नहीं है कि मैं मशहूर नहीं हो पाया।
लगा रहा सँवारने में बगीचा यारो
फल लपक लेने का शऊर नहीं हो पाया।
लोग पाते कोई पाता न पार शब्दजाल बुन देता
मुझसे कविता में वो फ़ितूर नहीं हो पाया।
लोग मुझको भी लोग बड़ा आदमी कहने लगतेऐंठ कर अकड़ के बोलता मगरूर नहीं हो पाया।
मैंने भेजा तो कई बार मौत का परचाख़ुदा के घर अभी मंजूर मंज़ूर नहीं हो पाया।
सुर-असुर दोनों की पसन्द मैं कैसे बनता
बन गया नारियल, अंगूर नहीं हो पाया।
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