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अरूणाकाश / अरुणा राय

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खिलते हैं अरूणाकाश<br>
में<br>
तितलियां तितलियाँ उड़ती हैं<br>पक्षी अपनी चहचहाहटोंचहचहाटों<br>
से<br>
गूंजाते गुँजाते हैं अरूणाकाश<br>
तड़कर गिरने से पहले<br>
बिजलियां कौंधती हैं<br>
अरूणाकाश में<br>
वहां वहाँ संचित रहते हैं<br>सारे राग -विराग<br>दुखी आदमी ताकता है उपरऊपर<br>
अरूणाकाश<br>
ठहाके उसे ही गुंजातेगुँजाते<br>
हैं<br>
आंसुओं आँसुओं के साथ मिट्टी<br>
में गिरता<br>
जब भारी हो जाता है दुख<br>
तब उपर ऊपर उठती आह<br>समेट लेता हैजिसे<br>
अरूणाकाश।
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