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<poem>
किसको पूजूँ
किसको छोड़ूँ
सब में मिट्टी है भारत की
पीली सरसों या घास हरी
झरबेर, धतूरा, नागफनी
गेहूँ, मक्का, शलजम, लीची
है फूलों में, काँटों में भी
 
सब ईंटें एक इमारत की
 
भाले, बंदूकें, तलवारें
गर इसमें उगतीं ललकारें
हल बैल उगलती यही ज़मीं
गाँधी, गौतम भी हुए यहीं
 
बाकी सब बात शरारत की
 
इस मिट्टी के ऐसे पुतले
जो इस मिट्टी के नहीं हुए
उनसे मिट्टी वापस ले लो
पर ऐसे सब पर मत डालो
 
अपनी ये नज़र हिकारत की
</poem>
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