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20:16, 23 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
वह उठा है भीतर की हुंकार से-
जहाँ जाता है मन
चल देगा उसी ओर
समय की लकीर पर
जो पहिया दौड़ता है
घोड़ा चुनेगा पथ वही
सृजन का संकेत समझ...
</poem>