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<poem>
सुनने देखने
और महसूस करने से भरा है
सोचने को सारा कारोबार,
सिर का गट्ठर
यह इतना बोझ भरा
कि मैं उड़ नहीं सकता
पक्षी की तरह
निपट आकाश में।

</poem>
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