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|रचनाकार=मधु शर्मा
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<poem>

रहस्य रची गई देह में है,
देह के अँधेरे में घुला
कुल विषाद तोड़ता है
कामनाओं का जटिल सच

देह में दम भरता हुआ जीवन
और भी कठिन है
देह के बाहर।

</poem>
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