Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
रास्ता किस जगह नहीं होता
सिर्फ़ हमको पता नहीं होता
 
अब भलों का भला नहीं होता
अब बुरों का बुरा नहीं होता
 
बरसों रुत के मिज़ाज सहता है
पेड़ यूँ ही बड़ा नहीं होता
 
छोड़ दें रास्ता ही डर के हम
ये कोई रास्ता नहीं होता
 
एक नाटक है ज़िंदगी यारो
कौन बहरूपिया नहीं होता
 
ख़ौफ़ राहों से किसलिए `हस्ती'
हादसा घर में क्या नहीं होता
</poem>