गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कुछ दोहे / हस्तीमल 'हस्ती'
184 bytes added
,
10:33, 27 जनवरी 2019
तन बुनता है चादारिया, मन बुनता है पीर
एक जुलाहे सी मिली, शायर को तक़दीर
6.
बेशक़ मुझको तौल तू, कहाँ मुझे इनक़ार
पहले अपने बाट तो, जाँच-परख ले यार
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits