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|रचनाकार=वाल्टर सेवेज लैंडर
|अनुवादक=तरुण त्रिपाठी
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<poem>
ज़ल्द ही, ओ आयन्थी, ज़िंदगी ख़त्म हो जाएगी
और उससे भी ज़ल्दी सौंदर्य की यह मुस्कान अलौकिक:
रहने दो (हाँ और ज़्यादे नहीं माँगता मैं..)
इस प्यार को केवल तब ही तक जीवित

</poem>
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