584 bytes added,
02:26, 31 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वाल्टर सेवेज लैंडर
|अनुवादक=तरुण त्रिपाठी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तमाम रास्ते हैं ज़िन्दगी में
सब ख़त्म हो जाते हैं
एक तन्हा रास्ते पर
हम बढ़ जाते हैं;
और 'वह गुज़र गया?'
हमारे प्रिय मित्र बस
इतना ही कह पाते हैं..
</poem>