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घाव तुम्हारे / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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05:30, 11 फ़रवरी 2019
तुम प्राणों में रहो
इतना चाहूँ।
68
भोर मुस्काई
मुकुलित कमल
नैन तुम्हारे
69
जन्मों की माया
कैसे है बाँधे जीव
मन व्याकुल।
70
नेह से भरे
गंगा नहाके आए
मृदु वचन।
</poem>
वीरबाला
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