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कोई कलम / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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05:36, 11 फ़रवरी 2019
समर्पित तुम्हें है
प्राणों में तुम ।
58
गुलाबी सर्दी
गर्माहट देता है
साथ तुम्हारा।
59
सुख में भूलो
दुख में मुझे कभी
भुला न देना।
60
कुछ न बाँटो
पर थोड़ा -सा दुःख
मुझे भी देना।
-0-
</poem>
वीरबाला
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