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भूमि / चेन्जेराई होव / राजेश चन्द्र
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18:31, 11 फ़रवरी 2019
तुम्हारी सुन्दरता डूब रही है,
तुम्हारी साँस ढलती जा रही है धुन्ध में,
तुम्हारी दृष्टि धुँधली हो
गयी
गई
है धुन्ध में ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र'''
</poem>
अनिल जनविजय
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